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शिक्षा व्यवसायीकरण… विद्यालय बने बाजार बच्चों के भविष्य के साथ हो रहा खिलवाड़

बिना यू डाइस के चल रहे विद्यालय बिता ले गए पूरा सत्र

शिक्षा व्यवसायीकरण… विद्यालय बने बाजार बच्चों के भविष्य के साथ हो रहा खिलवाड़

 

बिना यू डायस नम्बर के चल रहे विद्यालय बिता ले गए पूरा सत्र

प्रतापगढ़। निजी स्कूल और बाजार मे सिर्फ एक फर्क रह गया है की बाजार मे पैसे के बदले सामान मिलता है और स्कूल मे पैसे के बदले आधा अधूरा ज्ञान मिलता है। बाकी काम करने के तरीके मेल खाते नजर आ रहे है कि बिना पैसा दोनो जगहों पर कुछ नही मिलने वाला है। प्रतापगढ़ जनपद हो या प्रयागराज या कोई और कमोवेश हालात सब दूर प्रायः एक जैसे ही नजर आ रहे है। विकास खंड कुंडा हो या बाबागंज, बिहार हो या रामपुर, मांधाता हो या लक्ष्मणपुर सब दूर यही कहानी है। ग्रामीण क्षेत्रों में तो कई ऐसे विद्यालय हैं जिनके पास युदायस नब्बर तक नही है जिसका सीधा मतलब ये है कि सब फर्जीबाड़ा कर रहे है। बच्चे व अभिभावक भी जानकारी के अभाव में इनके चंगुल में फंस रहे हैं।

खंड शिक्षा अधिकारी बने तमाशबीन सिर्फ नोटिस देकर चला रहे काम

जिले के विकास खंडो मे तैनात खंड शिक्षा अधिकारी जिनके ऊपर ऐसे स्कूलों पर नकेल कसने कि जिम्मेदारी होती है वो सिर्फ खाना पूर्ति करके काम चला रहे हैं। स्कूल के नाम पर चल रही शिक्षा के दुकानों में अभिभावकों का भरपूर शोषण हो रहा है और साहब कभी कभी नोटिस दे दिया करते हैं जिससे साफ पता चलता है कि उनके संज्ञान मे ऐसे विद्यालय पनप रहे हैं।

बिना यूडायस के संचालित स्कूल कौन जिम्मेदार

नयी व्यवस्था मे प्रत्येक विद्यालय का एक यूडायसकोड होता है। प्रत्येक बच्चों की यू डायस प्लस पर फीडिंग होती है। कक्षा 1 से लेकर कक्षा 12 तक के बच्चों का एक ही पीइएन (परमानेंट एजुकेशन नंबर) होता है। नई शिक्षा नीति 2020 के तहत कुछ ऐसे मानक तैयार किए गए हैं जो प्रत्येक विद्यालय के लिए लागू है।

जहां यदि किसी बच्चे का पी इ एन नंबर नहीं है तो उसे बच्चे का शैक्षिक प्रमाण पत्र मान्य नहीं होगा। लेकिन शिक्षा का व्यवसायीकरण करने वाले कुछ ऐसे विद्यालय हैं जो मानक को दरकिनार करते हुए बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। कई विद्यालय ऐसे हैं जो यू डाइस प्लस की वार्ता करने पर गोल मटोल जबाब दे रहें हैं कि उनके स्कूल कि “फाइल लगी है और जल्दी ही उनके स्कूल को भी यू डाइस कोड” मिल जायेगा। आखिर कब होगी इन पर कार्यवाही, अब सवाल ये है की बच्चों की किस विद्यालय में की गयी है फीडिंग और यदि नहीं की गयी है फीडिंग तो बच्चों को टी सी कैसे जारी हो रही है ये सब जांच का विषय है।

क्या है अपार आईडी उसको भी जाने अभिवावक

जनपद के स्कूलों में छात्रों की अपार आईडी (APAAR ID) बनाने का काम चल रहा है। चाहे सरकारी हो या प्राइवेट सभी स्कूलों के बच्चों की यूनिक आईडी बनाई जा रही है जिसे अपार ऐदकहा गया है। विशेष अभियान चलाकर इस कार्य में तेजी लाई जा रही है। अपार आईडी यानी ऑटोमेटिक परमानेंट एकेडमिक अकाउंट रजिस्ट्री- APAAR ID) । केंद्र सरकार के दिशानिर्देशों को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकारों ने अपने यहां के स्कूलों से कहा है कि वे हर छात्र की एक अलग खास पहचान बनाने के लिए उनके माता-पिता से सहमति लें। केंद्र सरकार की ‘वन नेशन वन स्टूडेंट आईडी’ योजना के तहत यह अपार आईडी कार्ड बनाया जा रहा है। इस योजना के तहत प्रत्येक छात्रों को 12 अंकों का एक यूनिक आईडी नंबर जारी किया जा रहा है जिसे अपार आईडी का नाम दिया गया की।

जहां एक तरफ सरकार नई शिक्षा नीति को लागू करने को लेकर तरह-तरह की नीति बना रही है वहीं पर शिक्षा व्यवसाय के चलते शिक्षा माफिया का दबदबा कायम नजर आ रहा है

जनपद में धड़ल्ले से चल रहे फर्जी विद्यालय की लगी होड़ बिता ले जा रहे पूरा सत्र लेकिन शिक्षा विभाग नहीं कर पा रहा कोई कार्यवाही। नए सत्र की शुरुआत होते ही शिक्षा विभाग द्वारा विद्यालयों को नोटिस दी जाती है उसके बावजूद भी विद्यालय पूरा सत्र पार करते हैं जो सिलसिला निरंतर चल रहा है अब नए सत्र की शुरुआत में देखना यह है की शिक्षा विभाग बिना मान्यता के चल रहे फर्जी विद्यालयों पर कसता है नकेल या फिर इस नए सत्र भी वही सिलसिला रहता है जारी रहेगा।

Vinod Mishra

सामाजिक सरोकारो पर सीधी पकड़ और बेबाक पत्रकारिता के लिए समर्पित...ग्लोबल भारत न्यूज़ संस्थान के लिए सेवारत

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